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एन्टोमोथेरेपी यानि औषधीय कीटों और मकोड़ों से रोगों की चिकित्सा

एन्टोमोथेरेपी यानि  औषधीय कीटों और मकोड़ों से रोगों की चिकित्सा                                                                   - पंकज अवधिया  छत्तीसगढ़ ने केवल अपनी जैव-विविधता बल्कि जड़ी-बूटियों से सम्बन्धित समृद्ध पारम्परिक चिकित्सकीय ज्ञान के लिए विश्व के मानचित्र पर विशिष्ट स्थान रखता है| पर यह बात बहुत कम लोग ही जानते है कि राज्य में औषधीय कीटों और मकोड़ों से सम्बन्धित पारम्परिक ज्ञान का अकूत भंडार है| दुनिया के बहुत से देशों में कीड़े-मकौडों को खाया जाता है| नाना प्रकार के व्यंजन बनाये जाते हैं| इसे विज्ञान की भाषा में एन्टोमोफैगी कहा जाता है| पर दुनिया के बहुत से कम भागों में कीड़े-मकौडों को बतौर औषधी प्रयोग किया जाता है| यदि आधुनिक विज्ञान के सन्दर्भ साहित्यों के दृष्टिकोण से देखे तो छत्तीसगढ़ का स्थान इसमें सबसे ऊपर है|  कीड़े-मकौडों के औषधीय प्रयोगों को  एन्टोमोथेरेपी कहा जाता है|  तेजी से बढ़ती मानव आबादी और खाद्य संकट को देखते हुए भोजन के नये विकल्पों की तलाश पूरी दुनिया में हो रही है| पश्चिमी देश इन नये विकल्पों पर शोध के लिए पानी की तरह पैसे बहा रहे हैं| अमेरिक